PFI पर प्रतिबंध: 5 चौंकाने वाले तथ्य इस इस्लामिस्ट संगठन के

“PFI पर प्रतिबंध: 5 चौंकाने वाले तथ्य इस इस्लामिस्ट संगठन के विवादास्पद इतिहास और खतरनाक आतंकी कनेक्शन के बारे में!”

PFI का फुल फॉर्म

PFI का फुल फॉर्म “Popular Front of India” है। यह एक इस्लामिस्ट संगठन है जिसकी स्थापना 2006 में हुई। PFI ने खुद को एक सामाजिक आंदोलन बताया, जो न्याय और अधिकारों के लिए काम करता है, लेकिन इसे अक्सर हिंसक गतिविधियों और आतंकी संगठनों से जुड़े होने के आरोपों का सामना करना पड़ा। 2022 में भारत सरकार ने इसे UAPA के तहत प्रतिबंधित कर दिया, क्योंकि इसे देश की सुरक्षा के लिए खतरनाक माना गया।

भारत सरकार ने 28 सितंबर 2022 को Popular Front of India (PFI) और इसकी 8 सहयोगी संस्थाओं पर Unlawful Activities (Prevention) Act (UAPA) के तहत 5 साल के लिए प्रतिबंध लगा दिया। यह फैसला PFI के आतंकी गतिविधियोंहिंसक घटनाओं, और राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के आरोपों के बाद लिया गया। लेकिन क्या है PFI का इतिहास और क्यों इसे भारत की सुरक्षा के लिए खतरनाक माना जाता है? आइए, इसके बारे में विस्तार से जानते हैं।

PFI
क्या भारत की सुरक्षा के लिए PFI पर प्रतिबंध जरूरी था? जानिए इस संगठन के काले कारनामे और आतंकी संगठनों से जुड़े रहस्य!”

PFI का गठन और उद्देश्य

Popular Front of India (PFI) का गठन 2006 में Karnataka Forum for Dignity (KFD) और National Development Front (NDF) के विलय के साथ हुआ। यह संगठन खुद को एक “नव-सामाजिक आंदोलन” बताता था, जो न्याय, स्वतंत्रता और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए काम करता है। PFI ने मुस्लिम समुदाय के लिए आरक्षण की वकालत की और UAPA कानून के दुरुपयोग के खिलाफ विरोध प्रदर्शन भी किए।

हालांकि, PFI पर अक्सर आतंकवादी संगठनों से जुड़े होने के आरोप लगते रहे हैं। 2012 में, केरल सरकार ने दावा किया कि PFI, Students Islamic Movement of India (SIMI) का ही एक नया रूप है, जो भारत में आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देता है।

हिंसक घटनाओं और आरोपों का सिलसिला

PFI को अक्सर Rashtriya Swayamsevak Sangh (RSS) और अन्य दक्षिणपंथी संगठनों के साथ हिंसक झड़पों में शामिल पाया गया है। केरल और कर्नाटक में PFI कार्यकर्ताओं के पास से हथियारबमगनपाउडर, और तलवारें बरामद की गई हैं। संगठन पर तालिबान और अल-कायदा जैसे आतंकी संगठनों से जुड़े होने के भी आरोप लगे हैं।

2010 में, केरल पुलिस ने PFI कार्यकर्ताओं से देशी बमहथियार, और तालिबान प्रचार सामग्री जब्त की। 2013 में, केरल पुलिस ने PFI के केंद्रों पर छापेमारी की और विदेशी मुद्राबम बनाने के कच्चे माल, और हथियार बरामद किए।

PFI और आतंकी संगठनों के कनेक्शन

PFI पर Students Islamic Movement of India (SIMI)लश्कर-ए-तैयबा (LeT), और हिजबुल मुजाहिदीन जैसे संगठनों से जुड़े होने के आरोप लगे हैं। 2010 में, PFI के राष्ट्रीय अध्यक्ष अब्दुल रहमान को SIMI का पूर्व राष्ट्रीय सचिव बताया गया। केरल सरकार ने केरल हाई कोर्ट में दावा किया कि PFI, SIMI का ही एक नया रूप है और यह संगठन देश की सुरक्षा के लिए खतरनाक है।

PFI

2017 में, India Today के एक अंडरकवर ऑपरेशन में PFI के संस्थापक सदस्य अहमद शरीफ ने स्वीकार किया कि PFI का उद्देश्य भारत को एक इस्लामिक राज्य बनाना है। उन्होंने यह भी कहा कि PFI ने मध्य पूर्व से फंडिंग प्राप्त की और इसे हवाला के जरिए भारत में ट्रांसफर किया।

PFI पर प्रतिबंध और ऑपरेशन ऑक्टोपस

22 सितंबर 2022 को, National Investigation Agency (NIA) ने PFI के खिलाफ ऑपरेशन ऑक्टोपस चलाया और देश भर में 100 से अधिक PFI नेताओं और कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया। 27 सितंबर को दूसरे दौर की छापेमारी में 247 और कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया।

28 सितंबर 2022 को, भारत सरकार ने PFI और इसकी 8 सहयोगी संस्थाओं को गैरकानूनी संगठन घोषित कर दिया। सरकार ने कहा कि PFI की गतिविधियां देश की अखंडतासंप्रभुता, और सुरक्षा के लिए खतरनाक हैं।

निष्कर्ष

PFI पर प्रतिबंध भारत सरकार के लिए एक बड़ा कदम है। हालांकि, PFI ने हमेशा इन आरोपों को खारिज किया है और कहा है कि यह साजिश के तहत उन्हें बदनाम करने की कोशिश है। लेकिन, PFI के खिलाफ सबूत और आरोप इतने गंभीर हैं कि सरकार को इस पर प्रतिबंध लगाना पड़ा।

  • क्या PFI वाकई में देश की सुरक्षा के लिए खतरा है? या फिर यह सिर्फ एक साजिश है? इस सवाल का जवाब तो समय ही देगा। लेकिन, इतना तो तय है कि PFI का विवादास्पद इतिहास और आतंकी संगठनों से जुड़े आरोप इसे भारत के लिए एक बड़ा खतरा बनाते हैं।

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